Primary Teachings of Arya Samaj. The main teachings of Arya Samaj are following: 1. God is the efficient cause of all true knowledge and all that is known through knowledge. 2. God is existent, intelligent and blissful. … 3. The Vedas are the scriptures of all true knowledge. … 4. One should always be ready Read More …
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Satyarth Prakash Chapter 5 – Samullas 5 – Hindi
पञ्चम समुल्लास अथ पञ्चमसमुल्लासारम्भः अथ वानप्रस्थसंन्यासविधि वक्ष्यामः ब्रह्मचर्याश्रमं समाप्य गृही भवेत् गृही भूत्वा वनी भवेद्वनी भूत्वा प्रव्रजेत्।। -शत० कां० १४।। मनुष्यों को उचित है कि ब्रह्मचर्य्याश्रम को समाप्त करके गृहस्थ होकर वानप्रस्थ और वानप्रस्थ होके संन्यासी होवें अर्थात् अनुक्रम से आश्रम का विधान है। एवं गृहाश्रमे स्थित्वा विधिवत्स्नातको द्विजः। वने वसेत्तु नियतो यथावद्विजितेन्द्रियः।।१।। गृहस्थस्तु यदा Read More …
Satyarth Prakash Chapter 4 – Samullas 4 – Hindi
अथ चतुर्थसमुल्लासारम्भः अथ समावर्त्तनविवाहगृहाश्रमविधि वक्ष्यामः वेदानधीत्य वेदौ वा वेदं वापि यथात्रफ़मम्। अविप्लुतब्रह्मचर्यो गृहस्थाश्रममाविशेत्।।१।। मनु०।। जब यथावत् ब्रह्मचर्य्य आचार्यानुकूल वर्त्तकर, धर्म से चारों, तीन वा दो, अथवा एक वेद को सांगोपांग पढ़ के जिस का ब्रह्मचर्य खण्डित न हुआ हो, वह पुरुष वा स्त्री गृहाश्रम में प्रवेश करे।।१।। तं प्रतीतं स्वधर्मेण ब्रह्मदायहरं पितुः। स्रग्विणं तल्प आसीनमर्हयेत्प्रथमं Read More …
Satyarth Prakash Chapter 3 – Samullas 3 – Hindi
तृतीय समुल्लास अथ तृतीयसमुल्लासारम्भः अथाऽध्ययनाऽध्यापनविधि व्याख्यास्यामः अब तीसरे समुल्लास में पढ़ने का प्रकार लिखते हैं। सन्तानों को उत्तम विद्या, शिक्षा, गुण, कर्म्म और स्वभावरूप आभूषणों का धारण कराना माता, पिता, आचार्य्य और सम्बन्धियों का मुख्य कर्म है। सोने, चांदी, माणिक, मोती, मूँगा आदि रत्नों से युक्त आभूषणों के धारण कराने से मनुष्य का आत्मा सुभूषित Read More …
Satyarth Prakash Chapter 2 – Samullas 2 – Hindi
Satyarth Prakash Chapter 1 – Samullas 1 – Hindi
प्रथम समुल्लास अथ सत्यार्थप्रकाशः ओ३म् शन्नो मित्रः शं वरुणः शन्नो भवत्वर्य्य मा । शन्नऽइन्द्रो बृहस्पतिः शन्नो विष्णुरुरुक्रमः ।। नमो ब्रह्मणे नमस्ते वायो त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि । त्वामेव प्रत्यक्षं बह्म्र वदिष्यामि ऋतं वदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि तन्मामवतु तद्वक्तारमवतु। अवतु माम् अवतु वक्तारम् । ओ३म् शान्तिश्शान्तिश्शान्तिः ।।१।। अर्थ-(ओ३म्) यह ओंकार शब्द परमेश्वर का सर्वोत्तम नाम है, क्योंकि Read More …
सत्यार्थ प्रकाश भूमिका – Satyarth Prakash Introduction
Arya Samaj Vichar
Arya Samaj Vichar #1 सत्य बोलकर मित्र बनाना अच्छा है परन्तु झूठ बोल कर मित्र बनाने से सत्य बोलकर शत्रु बनाना अधिक अच्छा है, क्योंकि आप संसार में सबको एक साथ प्रसन्न नहीं कर सकते . #2 वेद परस्पर मिलकर विचार करने, प्रेम से वार्तालाप करने, समान मन करने, ज्ञान प्राप्त करते हुए ईश्वर की उपासना Read More …
Sangathan Suktam Mantra – संगठन सूक्त – वैदिक सूक्त
Sangathan Sukta – Rigveda 10.191 संगठन सूक्त क्या है ? ऋग्वेद का अंतिम सूक्त संगठन सूक्त कहलाता है संगठन सूक्त ओ३म् सं समिधवसे वृषन्नग्ने विश्वान्यर्य आ |इड़स्पदे समिधुवसे स नो वसुन्या भर ||हे प्रभो ! तुम शक्तिशाली हो बनाते सृष्टि को ||वेद सब गाते तुम्हें हैं कीजिए धन वृष्टि को || ओ३म सगंच्छध्वं सं वदध्वम् सं Read More …
10 Principles of Arya Samaj – English & Hindi
10 principles of Arya Samaj in English 1. The primeval cause of all genuine knowledge and all that is known by means of knowledge is God. 2. God is Truth-consciousness – Bliss personified, Formless, Omnipotent, Just, Merciful, Unborn, Infinite, Unchangeable, Beginningless, Incomparable, Support of all, Lord of all, Omnipresent, Internal, regulator of all, Undecaying, Immortal, Fearless, Eternal, Holy, Read More …