ईश्वर का सर्वोत्तम नाम क्या है?

What is the highest name of God? (Hindi)

ईश्वर का सर्वोत्तम नाम ओ३म् है, अब प्रश्न उठता है की यह ओ३म् ईश्वर (परमेश्वर) का सर्वोत्तम नाम क्यों है?
(ओ३म्) यह ओंकार शब्द परमेश्वर का सर्वोत्तम नाम है, क्योंकि इसमें जो , और म् तीन अक्षर मिलकर एक (ओ३म्) समुदाय हुआ है, इस एक नाम से परमेश्वर के बहुत नाम आते हैं जैसे- अकार से विराट्, अग्नि और विश्वादि। उकार से हिरण्यगर्भ, वायु और तैजसादि। मकार से ईश्वर, आदित्य और प्राज्ञादि नामों का वाचक और ग्राहक है। उसका ऐसा ही वेदादि सत्यशास्त्रों  में स्पष्ट व्याख्यान किया है कि प्रकरणानुकूल ये सब नाम परमेश्वर ही के हैं।

‘ओम्’ आदि नाम सार्थक हैं- जैसे (ओं खं०) ‘अवतीत्योम्, आकाशमिव व्यापकत्वात् खम्, सर्वेभ्यो बृहत्वाद् ब्रह्म’ रक्षा करने से (ओम्), आकाशवत् व्यापक होने से (खम्), सब से बड़ा होने से ईश्वर का नाम (ब्रह्म) है.

(ओ३म्) जिसका नाम है और जो कभी नष्ट नहीं होता, उसी की उपासना करनी योग्य है, अन्य की नहीं.

(ओमित्येत०) सब वेदादि शास्त्रें में परमेश्वर का प्रधान और निज नाम ‘ओ३म्’ को कहा है, अन्य सब गौणिक नाम हैं।

(सर्वे वेदा०) क्योंकि सब वेद सब धर्मानुष्ठानरूप तपश्चरण जिसका कथन और मान्य करते और जिसकी प्राप्ति की इच्छा करके ब्रह्मचर्य्याश्रम करते हैं, उसका नाम ‘ओ३म्’ है.

ईश्वर के अन्य नाम क्यों नहीं है ?

(प्रश्न) ईश्वर के अन्य नाम क्यों नहीं है ? ब्रह्माण्ड, पृथिवी आदि भूत, इन्द्रादि देवता और वैद्यकशास्त्र में शुण्ठ्यादि ओषधियों के भी ये नाम हैं, वा नहीं ?

(उत्तर) हैं, परन्तु परमात्मा के भी हैं।

(प्रश्न) केवल देवों का ग्रहण इन नामों से करते हो वा नहीं?

(उत्तर) आपके ग्रहण करने में क्या प्रमाण है?

(प्रश्न) देव सब प्रसिद्ध और वे उत्तम भी हैं, इससे मैं उनका ग्रहण करता हूँ।

(उत्तर) क्या परमेश्वर अप्रसिद्ध और उससे कोई उत्तम भी है?  पुनः ये नाम परमेश्वर के भी क्यों नहीं मानते?  जब परमेश्वर अप्रसिद्ध और उसके तुल्य भी कोई नहीं तो उससे उत्तम कोई क्योंकर हो सकेगा।

 

 

1 Comment on “ईश्वर का सर्वोत्तम नाम क्या है?

  1. कलयुग परमात्मा की रचना का सबसे सुंदर और स्वतंत्रता का पूरा लाभ उठाने का मौका दिया है। समझ सको तो समझलो ईश्वर सदा इशारों मे बाते करता है कलयुग मे जो आकर्षण और अपाकर्षण से दुर रहकर सांसो मे छूपे चेतन स्वयं का साक्षात्कार करलिया होतो। धन्यवाद।
    निध्यास निदिध्यासन आत्म चिंतन ध्यान स्मरण जाप सभी ईश्वर अंश जीव को अपने आत्म सुख की ओर लेजाए यही परमात्मा परमेश्वर को प्रार्थना। धन्यवाद। यह मन, मन नही हणमन(संसारके विमुख और सनमुख होजो गणेश) है| हणमन वही जो मन शरीर में रहते हूवे ईश्वर की अनुभूति में रुक गया, जीसे पता चलगया मै नही पर वही है, विश्वेश्वर संपूर्ण जगतका हर्ता, कर्ता, धर्ता स्वयं ईश्वर जगदीश्वर है, जो ईश्वर अंश मनुष्य शरीर धारण कर अपनी लिला, ईश्वरीय खेल को खुद हि खेल रहा है, जीसका मै साक्षी भर हुं|

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